Monday, November 27, 2006

किसी और की तो नहीं?

किसी और की तो नहीं?


इसमे से अपने पसीने की खुश्बू नहीं आती हैं।


अपने साँसो की आवाज़ नहीं सुनता हैं।


अपने मेहनत की छाप नहीं दिखता हैं।


यह पैसा, यह दौलत.., कहीं अपनी न होकर, किसी और की तो नहीं?


- नागॆश


२००६-११-२७